सीएम हेल्पलाइन होगी हेल्पलेस अधिकारी सीधे रिजेक्ट कर रहे शिकायतें, लेकिन उन्हें बतानी होगी कोई 1 वजह..
रिपोर्ट मुकेश परमार (भीलीभाषा )

तय किए गए चार आधार जनता की शिकायत के निराकरण को असंभव करार देने के लिए बने तो नही…
झाबुआ। ब्यूरो चीफ-संजय जैन। ताकतवर सिस्टम के खिलाफ पहले जनता के हाथ में दो बड़े हथियार थे। पहला आईटीआई कानून,जिसे अब बहुत कमजोर कर दिया गया है। दूसरा सीएम हेल्पलाइन, जिसे कमजोर करने की तैयारी पिछले वर्ष कर दी गयी थी।जिसके चलते अधिकारी किसी भी शिकायत को सीधे रिजेक्ट कर दे रहे है। लेक़िन इसके लिए उन्हें चार में से कोई एक वजह बताना अनिवार्य किया गया था। मसलन सीएम हेल्पलाइन में अगर किसी ने कहीं नाली या सड़क निर्माण की बात हेतु शिकायत की है तो उसे इस आधार पर रिजेक्ट किया जा सकेगा कि इसके लिए बजट नहीं है। जनता के आवेदनों को नामंजूर करने के लिए सबसे व्यापक आधार नीतिगत निर्णय होगा। यह एक ऐसा शब्द है,जिसे कहीं भी फिट किया जा सकता है। इसके अलावा न्यायालयों में लंबित मामला, बताकर भी आवेदन खारिज किए जा सकते हैं।
एक और अहम हथियार,प्रशासनिक सिस्टम को दिया गया ……
लक्ष्य से अधिक आवेदन यानी अगर कोई व्यक्ति पीएम आवास के लिए सीएम हेल्पलाइन पर आवेदन करता हैं तो उसे सिर्फ यह कहकर रिजेक्ट कहा जा सकता है कि इस योजना में लक्ष्य से अधिक आवेदन आ चुके हैं। गौरतलब है कि हर टीएल बैठक में कलेक्टर सीएम हेल्पलाइन के बिंदु पर विस्तृत चर्चा करती है,लेकिन क्रियान्वन कराने में शायद उनकी रुचि ही नही है ऐसा साफ प्रतीत हो रहा है। जबकि सीएम हेल्पलाइन पोर्टल पर 15 अप्रैल 2024 तक दर्ज लंबित सभी शिकायतें पृथक से प्रदर्शित की जानी चाहिए।
अधिकारियों के पास समय ही नहीं …..
चुनावी वर्ष में सरकार एक के बाद एक लोक लुभावन योजनाएं ला रही थी। इनके क्रियान्वयन में पूरा का पूरा अमला लगा दिया जाता था। मसलन लाड़ली बहना योजना के चलते अप्रैल 23 में प्रशासनिक सिस्टम लगभग ठप रहा था। जिसके चलते सभी को इसी काम में लगा दिया गया था । इसके अलावा विकास यात्राओं में भी इसी तरह अधिकारी लगाए गए थे। ऐसे में अधिकारियों के पास सीएम हेल्पलाइन पर आने वाले आवेदनों के निराकरण का समय ही नहीं बचता था। नतीजा यह है कि पेंडेंसी बढ़ती जा रही थी,जिसके हालात आज तक जस के तस बने हुए है,पीड़ित तो सिर्फ गुहार लगाने के बाद से यह समझता है उसकी शिकायत का निराकरण जल्द हो जाएगा।