युवाओं व बच्चों में बढ़ रही नशे की लत-नकली घी की भरमार


बढ़ रहे किडनी फैलुअर के केस-सामान्य व्यक्ति की किडनी भी दे रहीं जवाब, बदलता खान-पान कर रहा किडनी खराब………………..
युवाओं व बच्चों में बढ़ रही नशे की लत -चेतावनी बोर्ड नहीं लगे………………
झाबुआ। ब्यूरो चीफ -संजय जैन। क्षेत्र में लोगों का बदलता रहन-सहन और खानपान किडनी पर गंभीर असर कर रहा है। विशेषज्ञों की माने तो पेस्टिसाइड दवाएं जमीन में जहर खोल रहीं हैं, पॉलिथीन का उपयोग शरीर में प्लास्टिक कण बढ़ा रहे हैं। गुटखा पाउच का केमिकल किडनी को नुकसान पहुंचा रहा है। जिसके परिणाम स्वरूप 18-20 साल के युवाओं की किडनी भी फैल हो रहीं हैं। हालात ये हैं कि 3 साल में किडनी ट्रांसप्लांट के केस आश्चर्यजनक रूप से बढ़ गए हैं। पहले हर साल 1-2 किडनी ट्रांसप्लांट के केस थे,जिसकी संख्या अब 3-6 तक पहुंच गई है।

किडनी फैलुअर के केस बढ़ रहे ……..
मरीजों में पेस्टीसाइड, गुटखा व नशा, बॉडी में प्लास्टिक कण,गंदा पानी किडनी डैमेज का प्रमुख कारण होता है। किडनी फैलुअर के केस बढ़ रहे हैं । गुटखा पाउच में मौजूद घातक केमिकल किडनी के छेद को खराब कर देते हैं।

जमीन-मकान बिक चुके …………..
ऐसे केस भी सामने आए जो नशे से दूर रहते हैं,लेकिन उनकी दोनों किडनी खराब हो गईं। कुछ ऐसे मामले भी आए जिसमें 18 व 20 साल के बच्चों की दोनों किडनी खराब हो गईं। इसका प्रमुख कारण पेस्टिसाइड का लगातार सेवन व प्लास्टिक के उपयोग की बन चुकी दिनचर्या है। आयुष्मान कार्ड में किडनी का इलाज निःशुल्क न होने के कारण मरीज और उसके परिजन आर्थिक रूप से टूट जाते हैं। कई परिवार ऐसे हैं जिनकी जमीन-मकान बिक चुके हैं।

चेतावनी बोर्ड नहीं लगे…………….
सरकारी नियमानुसार गुटखा,बीड़ी, सिगरेट, तंबाकू का व्यापार करने वाले दुकानदारों को अपनी दुकानों पर धूम्रपान चेतावनी बोर्ड लगाने के निर्देश दिए गए हैं। लेकिन एक भी दुकानदार के द्वारा इन नियमों का पालन नहीं किया है। उनके खिलाफ विभाग ने सख्ती करना चाहिए। नशे की लत के चलते कई युवाओं की मौत सड़क दुर्घटना सहित अन्य कारणों से हो चुकी है। बच्चे शराब नहीं खरीद पाते हैं तो आसन से उपलब्ध होने वाले सनफिक्स या सुलेसन आदि का प्रयोग नशे के रूप में कर रहे हैं। स्कूली छात्र-छात्रा भी गुटखा की लत से पीछे नहीं है।

पेस्टीसाइड, गुटखा घातक…………….
-गुटखा पाउच में मौजूद घातक केमिकल किडनी के छेद को खराब कर देते हैं।
-बोतल बंद पानी,प्लास्टिक पैक खाद्य सामग्री से प्लास्टिक के कण शरीर में पहुंच जाते हैं।
-पेस्टीसाइड दवा सब्जी, अनाज और जल स्रोतों से शरीर में पहुंच रही।
– कागज के डिस्पोजल की प्लास्टिक लेयर गर्म चाय से बेहद नुकसानदायक हो जाती है।
-ओवन में खाना गर्म करना, फ्रिज में प्लास्टिक बोतल पानी नुकसानदायक है।
-प्लास्टिक बोतल,पैकेट में बंद दूध बच्चों को नुकसान दायक।
मानसिक व शारीरिक इलाज कराना चाहिए……………
जरूरत है अपने बच्चों पर विशेष नजर रखने की। तभी कुछ हद तक इस पर लगाम लगाया जा सकता है। नशे की लत से होने वाली बीमारियों को अपने बच्चों को बताएं। जिसे नशे की लत लग चुकी है उसे नशा मुक्ति केंद्र में ले जाकर उनका मानसिक व शारीरिक इलाज कराना चाहिए।

…….यशवंत भंडारी-समाजसेवी
अंतिम विकल्प ट्रांसप्लांट……………….
दोनों किडनी खराब हो जाने के बाद शुरूआत में सप्ताह में 1 बार फिर सप्ताह में 2 से 3 बार तक डायलिसिस की जरूरत पड़ती है। लेकिन डायलिसिस सहने की शरीर की भी एक सीमा होती है। ऐसे में केस क्रिटिकल हो जाता है और अंतिम विकल्प किडनी ट्रांसप्लांट ही बचता है।
…..डॉ.एम किराड़ जिला अस्पताल झाबुआ

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सावधान-160 से लेकर 700 रुपए प्रति किग्रा मिल रहा नकली घी…………..
बाजार में खपाया जा रहा नकली घी,चर्बी का भी हो रहा इस्तेमाल……..
झाबुआ।ब्यूरो चीफ- संजय जैन।विभागीय अधिकारियों की उदासीनता और निगरानी तंत्र के कमजोर होने के चलते नगर सहित आसपास के क्षेत्र में नकली घी की सप्लाई की जा रही। चर्बी से बना नकली शुद्ध घी की सप्लाई होने की चर्चा भी सामने आ रही है। ग्वालियर , झांसी,उत्तर प्रदेश, के धंधेबाज चर्बी से बने घी की सप्लाई कर रहे हैं। नकली घी में मौजूद घातक केमिकल किडनी के छेद को खराब कर देते हैं।

कानून का जरा सा भी डर नहीं ………
सूत्रों ने बताया कि नकली घी बनाने में 60 से 100 रुपए प्रति किग्रा खर्च आता है। यह होलसेल में दुकानदारों तक 180 से 200 रुपए तक में बिकता है। इसे दुकानदार 250 से 300 रुपए तक बेचते हैं। यदि ब्रांडेड डिब्बा बंद घी की बात करें तो यह 350 से400 रुपए में और डेयरी पर 600 से 700 रुपए प्रति किग्रा बेचा जाता है। इस धंधे में जुड़े लोग क्षेत्र के चुनिंदा हौलसेलर दुकानदारों तक सप्लाई करते है। होलसेलर फुटकर दुकानदारों तक पहुंचाते है। लेकिन निगरानी तंत्र की कमी व विभागीय अधिकारियों के स्वहित के चलते थोक दुकानदारों को कानून का जरा सा भी डर नहीं है। नतीजा क्षेत्र में नकली घी की सप्लाई जारी है। वहीं, चर्बी से बना घी ग्रामीण इलाकों की दुकानों तक पहुंच रहा है।

घी का सेवन विभिन्न चीजों के साथ …
शुद्ध देशी घी का सेवन हम विभिन्न चीजों के साथ करते है। आज के समय में हम में से अधिकांश लोगों के रसोई घरों में घी इस्तेमाल होता है। हैरानी की बात है कि भगवान की पूजा के लिए 160 रुपए प्रति किग्रा व खाने वाले को 700 रुपए प्रति किग्रा मिल रहा है।