आदिवासी समाज के उत्थान की ऐतिहासिक मुहिम—D3 (दहेज, दारू, डीजे) के खिलाफ जागरूकता अभियान

झाबुआ डेस्क


मैं, राकेश सिंगाड़, रेडियो उद्घोषक एवं सामाजिक कार्यकर्ता, झाबुआ जिले में दहेज, दारू और डीजे (D3) को समाप्त करने के इस महान अभियान में सक्रिय भूमिका निभाने वाले सभी समाजजन, प्रशासन, जनप्रतिनिधि, सामाजिक कार्यकर्ताओं और युवा साथियों का हृदय से आभार व्यक्त करता हूं।
यह अभियान हमारी संस्कृति के संरक्षण और समाज के उत्थान में मील का पत्थर साबित हो रहा है। यदि यह मुहिम निरंतर 3-4 वर्षों तक जारी रही, तो आदिवासी समाज आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक रूप से मजबूत हो सकता है।
D3 अभियान—आदिवासी समाज के लिए क्यों आवश्यक?
आदिवासी समाज लंबे समय से DJ, दहेज और दारू जैसी कुरीतियों में जकड़ा हुआ था, जिससे न केवल हमारी संस्कृति खतरे में थी, बल्कि हमारी आर्थिक स्थिति भी कमजोर होती जा रही थी।
फिजूलखर्ची के कारण समाज विकास से पिछड़ रहा था और सरकारी योजनाओं का पूरा लाभ नहीं उठा पा रहा था।
शादी-ब्याह में अत्यधिक खर्च, जिसमें महंगा दहेज, शराब की बड़ी-बड़ी दावतें और ऊंची आवाज में बजने वाले डीजे शामिल थे, ने समाज को कर्ज और पलायन की ओर धकेल दिया था।
लेकिन आज यह बदलाव स्पष्ट रूप से दिखाई दे रहा है। हमारी संस्कृति, जो धीरे-धीरे विलुप्ति की कगार पर थी, अब पुनः जीवित हो रही है और हमें हमारी मूल पहचान वापस मिल रही है।
अगर यह मुहिम आदिवासी समाज द्वारा पूरी निष्ठा से अपनाई जाती है, तो:
5 वर्षों के भीतर समाज की तस्वीर पूरी तरह बदल जाएगी।
फिजूलखर्ची कम होगी और समाज आर्थिक रूप से सशक्त होगा।
कर्ज और पलायन जैसी समस्याओं से मुक्ति मिलेगी।
हमारी पारंपरिक संस्कृति फिर से मजबूत होगी, जिससे हमारी पहचान कायम रहेगी।
आदिवासी समाज के सभी भाई-बहनों से मेरी अपील:
अब समय आ गया है कि हम सभी एकजुट होकर इस मुहिम का हिस्सा बनें और समाज को सही दिशा में आगे बढ़ाएं। समाजसेवी, प्रशासन, जनप्रतिनिधि और आम नागरिक जब मिलकर काम करेंगे, तभी हम अपने समाज को आर्थिक और सामाजिक रूप से मजबूत बना पाएंगे।
D3 मुहिम केवल एक आंदोलन नहीं, बल्कि समाज के विकास का सबसे बड़ा प्रयास है। आइए, हम सब मिलकर इसे सफल बनाएं और अपने समाज को सही राह दिखाते हुए उसकी मूल पहचान को पुनः स्थापित करें।
धन्यवाद!
राकेश सिंगाड़
रेडियो उद्घोषक एवं सामाजिक कार्यकर्ता
