कृषि विभाग का दावा मोटे और बारीक खाद में फर्क नहीं


कृषि विभाग का दावा मोटे और बारीक खाद में फर्क नहीं,किसान मोटा खाद होता है अच्छा……………………
सरकारी गोदाम पर मोटा खाद न मिलने से बाजार से महंगा खाद लेने को मजबूर किसान………………..
झाबुआ। ब्यूरो चीफ -संजय जैन। क्षेत्र में करीब करीब 90 हजार हेक्टेयर में गेहूं की बोवनी हुई है। इन दिनों यूरिया खाद की मांग लगातार बढ़ रही है दरअसल फसल को पानी लग चुका है,इसके बाद यूरिया खाद की जरूरत पड़ती है। सोसायटी में खाद उपलब्ध नहीं है, वे सिर्फ परमिट काट रहे है। ऐसे में सरकारी गोदाम व बाजार की निजी दुकानों पर किसान निर्भर है। कृषि विभाग के मुताबिक मांग की तुलना में खाद कम आ रही है। हालांकि यूरिया खाद की किल्लत नहीं है,लेकिन निजी दुकानदार मनमानी करते हुए मोटा दाना होने की बात कहते हुए यूरिया का कट्टा 330 रुपए तक बेच रहे है। अंचल में 100 निजी दुकानें हैं।

दुकानदारों ने शुरू कर दी यूरिया खाद की कालाबाजारी…………..
गेहूं की फसल में पानी लगने के बाद अब यूरिया की मांग बढ़ गई है जिस वजह से बाजार में दुकानदारों ने यूरिया खाद की कालाबाजारी शुरू कर दी है। यूरिया की निर्धारित रेट 266.50 रुपए है। लेकिन बाजार में दुकानदार मोटा दाना के नाम पर 300 से लेकर 330 रुपए तक यूरिया खाद का कट्टा बेचा जा रहा है। बताया जाता है कि मोटा दाना बेहतर होता है। इधर, कृषि विभाग के स्टॉक में 90 मीट्रिक टन यूरिया खाद उपलब्ध होना बताया गया है।

* किसानों की पीड़ा उनकी जुबानी *
दे रहे महंगा, मोटा दाना बताकर ………..
गेहूं की फसल में इन दिनों यूरिया की जरूरत है। दुकानदार मोटा दाना बताकर महंगा दे रहे है। सोसायटी में खाद उपलब्ध नहीं है, वे सिर्फ परमिट काट रहे है, इस कारण सरकारी गोदाम पर आना पड़ता है।
………….. अम्बाराम भाभर -किसान
होती है सीजन में कालाबाजारी……..
यूरिया का बड़ा दाना बताकर दुकानदार ने 330 रुपए में यूरिया का कट्टा दिया है, लेकर आया हूं। इन दिनों यूरिया की जरुरत है। सरकारी गोदाम छुट्टी वाले दिन बंद रहता है। सीजन में कालाबाजारी होती है।
…………. जीतू डामोर -किसान

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