बड़ा सवाल-आखिर क्यों मूकदर्शक बना हैं,शिक्षा विभाग….?


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महंगी शिक्षा का कारोबार-महंगे कोर्स से परेशान अभिभावक,जिनके प्रयास पर भारी स्कूल की चाल………………….
पालकों ने छात्रों से लीं पुरानी किताबें निजी स्कूलों ने कोर्स ही बदल दिया-बड़ा सवाल-आखिर क्यों मूकदर्शक बना शिक्षा विभाग….?
झाबुआ। ब्यूरो चीफ -संजय जैन। शहर में महंगी शिक्षा का यह कारोबार पिछले करीब एक दशक से धड़ल्ले से जारी है। इससे हर साल ही अभिभावक इसी तरह से महंगे कोर्स की समस्या से परेशान रहते हैं और जब प्रशासन या शिक्षा विभाग कोई ध्यान नहीं देता है तो अभिभावकों को महंगा कोर्स खरीदने मजबूर होना पड़ता है। जिम्मेदारों की इस अनदेखी से लोगों में भारी नाराजगी है और शहरवासियों का सवाल है कि शिक्षा के इस बेरोकटोक जारी कारोबार पर आखिर शिक्षा विभाग मूकदर्शक क्यों बना रहता है….? कारण कुछ भी हो लेकिन इससे जिम्मेदारों की कार्यप्रणाली पर सवाल उठने लगे हैं।

बड़ा सवाल-आखिर क्यों मूकदर्शक बना शिक्षा विभाग….?
शहर में निजी स्कूलों का कुछ गिनी चुनी दुकानों से कोर्स बिक रहा है, हर स्कूल के कोर्स की बाजार में अलग दुकान है तो कई स्कूल खुद ही कोर्स बेच रहे हैं। इससे अभिभावक पांच से दस गुना कीमत पर मिल रहे निजी स्कूलों के कोर्स से परेशान हैं। उन्होंने महंगाई से बचने के लिए करीब 25 से 30 अभिभावकों ने छात्रों से अपने बच्चों के लिए पुरानी किताबों की व्यवस्था कर ली। लेकिन अब स्कूलों ने कोर्स की एक-दो किताबें बदल दीं,इससे अभिभावक वह बदली हुई एक-दो किताबें लेने पहुंच रहे हैं तो दुकानदार एक-दो किताब देने से साफ इनकार कर रहे हैं। इससे अभिभावक परेशान हैं, लेकिन न तो प्रशासन कोई ध्यान दे रहा है और न ही शिक्षा विभाग।
पूरा कोर्स ही खरीदना पड़ेगा…………..
शहर में भी शिक्षा का महंगा कारोबार जोरों पर है, महंगे दामों पर निजी स्कूलों का कोर्स बिक रहा है। महंगाई की मार से बचने अभिभावकों ने एक्सचेंज कर पुरानी किताबें लीं तो कोर्स की एक-दो किताबें ही बदल दीं। वहीं दुकानदारों ने भी अभिभावकों से कह दिया कि एक-दो किताब नहीं, पूरा कोर्स ही खरीदना पड़ेगा। इससे अभिभावक महंगे कोर्स की मार से परेशान हैं।
2400 रुपए में मिल रहा दूसरी कक्षा का कोर्स………….
निजी स्कूलों के कोर्स की महंगी कीमतों का अंदाजा इसी से लगा सकते हैं। नर्सरी का कोर्स बाजार में एक से दो हजार रुपए में मिल रहा है तो वहीं दूसरी कक्षा का कोर्स अभिभावक को 2400 रुपए में मिला। स्थिति यह है कि शहर में 4 हजार रुपए तक में निजी स्कूलों का कोर्स बेचा जा रहा है। लेकिन किताबों पर न तो कोई कीमत दर्ज है और न ही दुकानदार प्रत्येक किताब की अलग-अलग कीमत बता रहे हैं। अभिभावक बच्चों को महंगा कोर्स खरीदने के लिए मजबूर हैं।
नहीं मिलता पक्का बिल………………
दूसरी कक्षा के बच्चे का कोर्स 2400 रुपए में मिला है। जब दुकानदार से पक्का बिल मांगा तो दुकानदार ने बिल नहीं दिया। किताबों पर कीमत भी दर्ज नहीं है, इससे यह भी पता नहीं चल रहा कि कौन सी किताब कितने की है।
…………………..मनीष शर्मा-अभिभावक

चुनिंदा दुकानों पर ही विक्रय…………..
शहर में स्कूल पुस्तक विक्रेताओं से सांठगांठ कर चुनिंदा दुकानों पर विक्रय करा रहे हैं और महंगे दामों पर स्कूलों के कोर्स बिक रहे हैं। फिर भी प्रशासन व शिक्षा विभाग कोई ध्यान नहीं दे रहा। जब ज्यादातर अभिभावक महंगा कोर्स खरीद लेगा तब शिक्षा विभाग के अधिकारी आदेश जारी करते हैं व कमेटी बनाते हैं।
……….यशवंत भंडारी-समाजसेवी
फोटो०१-:यशवंत भंडारी-समाजसेवी
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अब छात्रों को नहीं मिलेगी, सीधे ही अगले स्कूल में पहुंचेगी टीसी………….
झाबुआ। ब्यूरो चीफ -संजय जैन। पांचवीं-आठवीं व 10वीं कक्षा पास करने वाले छात्रों को अब अपने स्कूल से टीसी नहीं मिलेगी, बल्कि स्कूल उस क्षेत्र के संबंधित अगली कक्षा के स्कूल को सीधे ही टीसी भेज देंगे। यदि किसी छात्र को अन्य कहीं पढ़ने जाने टीसी की जरूरत है तो अगली कक्षा के स्कूल से उसे टीसी दी जाएगी।
कई वर्षों से है यह व्यवस्था……………..
यह व्यवस्था तो कई वर्षों से है, लेकिन अब तक इसका पालन नहीं हो रहा था। लेकिन अब ड्रॉपआउट की स्थिति रोकने शिक्षा विभाग ने सख्ती से इस व्यवस्था का पालन करने के निर्देश दिए हैं। पांचवीं पास कर चुके छात्र की टीसी सीधे ही संबंधित क्षेत्र के मिडिल स्कूल के प्राचार्य,आठवीं पास कर चुके छात्र की टीसी हाईस्कूल व 10वीं पास की टीवी हायर सेकंडरी स्कूल प्राचार्य को भेजी जाएगी। साथ ही छात्रों का वहां पर अस्थाई प्रवेश भी हो जाएगा। लेकिन यदि किसी छात्र को बाहर या अन्य किसी स्कूल में पढ़ने जाना है तो अगली कक्षा के स्कूल से ही उसे टीसी मिलेगी।

इससे विभाग पर रहेगा छात्रों की आगामी पढ़ाई का रेकॉर्ड…….
कई बच्चे पढ़ने अन्य जगह चले जाते हैं,लेकिन उनके अन्य जगह जाने की कोई जानकारी न होने से वह छात्र ड्रॉपआउट यानी पढ़ाई छोड़ चुके मान लिए जाते हैं। लेकिन अगली कक्षा के स्कूल अब टीसी लेने वाले छात्रों का रेकॉर्ड रखेगा कि किस क्षेत्र ने कहां पर पढ़ने जाने के लिए टीसी ली है। साथ ही जो प्रवेश कराने या टीसी लेने नहीं आएगा तो उनसे संबंधित स्कूल के हेडमास्टर या प्राचार्य संपर्क करेंगे। इससे छात्रों के ड्रॉपआउट की स्थिति खत्म हो सकेगी।
फोटो ०३-
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