एक मतदाता तक पहुंचने पर नेताजी खर्च कर पाएंगे मात्र 5 रुपए…………..



जहां सबसे अधिक वोट, वहां सबसे कम प्रति मतदाता खर्च कर पाएंगे प्रत्याशी..
एक मतदाता तक पहुंचने पर नेताजी खर्च कर पाएंगे मात्र 5 रुपए…………..
झाबुआ। ब्यूरो चीफ -संजय जैन। सांसद बनने इस बार नेताजी एक मतदाता तक पहुंचने करीब 5 रुपए ही खर्च कर पाएंगे। इससे ज्यादा खर्चा हुआ तो फिर चुनाव आयोग का डंडा चलेगा। तीनों संसदीय क्षेत्र में प्रचार-प्रसार के लिए इस बार 95 लाख रुपए खर्च राशि तय की गई है। हर संसदीय क्षेत्र में करीब 18 लाख से अधिक मतदाता है। मतदाताओं तक पहुंचने इस राशि से प्रति मतदाता करीब 5 रुपए ही निकल पा रहा है।
पहले थी 30 लाख रुपए की सीमा……
लोकसभा चुनाव 2004 में चुनाव खर्च की सीमा 30 लाख रुपए थी तो अब बढ़ाकर 95 लाख रुपए की गई है। हालांकि मतदाताओं की स्थिति देखें तो 2004 में करीब दस लाख के करीब थे,जो अब दो गुना तक बढ़ गए हैं।,तब एक मतदाता तक पहुंचने के लिए 3 रुपए खर्च तय किया था जो अब 2 रुपए बढ़ा है।
चुनाव खर्च सीमा 70 से बढ़ाकर 95 लाख की…..
मुद्रास्फीति सूचकांक से तय होती है दर.
चुनाव खर्च की सीमा बढ़ाने के लिए निर्वाचन आयोग ने 2020 में कमेटी का गठन किया था। कमेटी की रिपोर्ट पर चुनाव खर्च सीमा 70 से बढ़ाकर 95 लाख की है। चुनाव खर्च की सीमा मुद्रास्फीति सूचकांक के आधार पर तय होती है। यहां तक की किराएदार रखने से लेकर होटल में कमरा किराए से देने तक की सूचना संबंधित भवन या होटल स्वामी को संबंधित थाने पर देना होगी। लोकसभा चुनाव के लिए प्रतिबंध के तहत जिला निर्वाचन अधिकारी ने इसके आदेश जारी किए है।

राज्यवार चुनाव खर्च की सीमा तय ….
लोकसभा व विधानसभा चुनाव में निर्वाचन आयोग ने राज्य की आबादी व मतदाता संख्या के हिसाब से राज्यवार चुनाव खर्च की सीमा तय की है।
प्रत्याशी चुनाव के दौरान निर्धारित सीमा से अधिक राशि खर्च नहीं कर सकते हैं। प्रत्याशी की सार्वजनिक बैठकों, रैलियों, विज्ञापनों,पोस्टर, बैनर, वाहनों व विज्ञापन खर्च शामिल होता है।

……..नेहा मीना-कलेक्टर,झाबुआ।
फोटो०१-:नेहा मीना-कलेक्टर
फोटो०२/०३-
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