*ख़बर का असर*लगातार खबरों के प्रकाशन के बाद प्रशासन आया हरकत में…



***** ख़बर का असर ***** लगातार खबरों के प्रकाशन के बाद प्रशासन आया हरकत में………………
यूनिफार्म एवं अन्य शैक्षणिक सामग्री के क्रय हेतु पालकों पर अनुचित दबाव बनाये जाने पर कड़ी कार्यवाही के आदेश जारी……………
आईपीएस स्कूल के सूचना पटल पर 3 दुकानों की सूची चस्पा लेकिन हकीकत कुछ और ही-पुस्तकों की सूची ही नही दी जाती है हमें……………
झाबुआ। ब्यूरो चीफ -संजय जैन। विद्यार्थियों को दुकान विशेष से यूनिफार्म एवं अन्य शैक्षणिक सामग्री खरीदने,कर रहे बाध्य पालकों को* पर लगातार 23 मार्च शनिवार और 31 मार्च रविवार को साँझा लोकतंत्र समाचार पत्र द्वारा खबरों को प्रमुखता से प्रकाशित किया गया था। जिस पर मंगलवार को नवागत कलेक्टर नेहा मीना हरकत में आयी और उन्होंने निजी स्कूलों द्वारा पाठ्यपुस्तकों, यूनिफार्म एवं अन्य शैक्षणिक सामग्री के क्रय हेतु पालकों पर अनुचित दबाव बनाये जाने पर कड़ी कार्यवाही की जाएगी,ऐसा आदेश जारी कर दिया है।

शिकायत प्राप्त होने पर संबंधित विद्यालय पर कार्यवाही की जाएगी……
कलेक्टर नेहा मीना के निर्देशानुसार और जिला शिक्षा अधिकारी के आदेशानुसार कतिपय स्कूल प्रबंधन एवं प्राचार्य द्वारा एनसीईआरटी/एससीईआरटी से संबंधित पुस्तकों के साथ अन्य प्रकाशकों की अधिक मूल्य की पुस्तकें एवं अन्य सामग्री क्रय करने हेतु पालकों पर अनुचित दबाव बनाया जाता है या एनसीईआरटी /सीबीएसई/एससीईआरटी मुद्रित व निर्धारित पाठ्यक्रम की पाठ्य पुस्तकों के स्थान पर अन्य प्रकाशकों की पाठ्य पुस्तकों का चयन कर अभिभावक को दुकान विशेष-निर्धारित स्थान के पाठ्य पुस्तकों व अन्य शैक्षिक सामग्री अथवा यूनिफार्म क्रय करने हेतु अप्रत्यक्ष रूप से बाध्य किया जाता है तो मध्यप्रदेश निजी विद्यालय ;फीस तथा अन्य संबंधित विषयों का विनियमन नियम 2020 के नियम 6/1/घ नुसार छात्र या अभिभावक सामग्रियों को खुले बाजार से क्रय करने के लिए स्वतंत्र होंगे। शिकायत प्राप्त होने पर संबंधित विद्यालय पर कार्यवाही की जावेगी, जिसकी समस्त जवाबदारी संस्था प्रमुख की होगी।

पुस्तकों की सूची ही नही दी जाती है हमें…….
जैसा की पालकों ने बताया आईपीएस स्कूल के सूचना पटल पर पाठ्यपुस्तकों हेतु गांधी स्टोर,नीलम स्टेशनरी और जैन स्टेशनरी का नाम चस्पा किया गया है। जब इस बात की पुष्टि करने हम नीलम और जैन स्टेशनरी पर पहुंचे तो उनका कहना था कि हमे यह बात अभी तीन चार दिन पहले ही पता चली,जब ग्राहक हमारी दुकान पर आए । इस बात की जानकारी हमें है ही नहीं औऱ न ही हमारे पास आईपीएस स्कूल का पाठ्यक्रम उपलब्ध है। उपरोक्त पुस्तक विक्रेताओं के अलावा नगर के अन्य विक्रेताओं का कहना है कि सांठगांठ वाले स्कूले हमे समय से पाठ्यपुस्तक की सूची देती ही नहीं है। सूची तो सिर्फ उनके सांठगांठ वाले प्रभावी पुस्तक विक्रेता को वे सहज एवं गोपनीय रूप से उपलब्ध करा देते है। ऐसे मैं हम पाठ्यपुस्तक उपलब्ध कैसे करा सकते है …? और करवा भी देवे तो उन पुस्तकों के सेट का बंडल हम कब तैयार कर पाएंगे….?
यह कर दे यदि प्रशासन हर स्कूल के लिए अनिवार्य ………..
यदि प्रशासन हर स्कूल के लिए अनिवार्य यह कर दे कि नियत समय से पहले पाठ्यपुस्तकों की सूची स्कूलों को जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय में आवश्यक रूप से जमा करवाना होगा ,साथ ही उस सूची की कॉपी स्कूल के सूचना पटल पर चस्पा भी करना होगा। हम दावे के साथ कहते है कि ऐसा आदेश आगामी दिनों में प्रति वर्ष के लिए जारी कर दिया जाय तो किसकी मजाल है कि अभिभावकों को कोई प्रभावी लूट सके….? ऐसा हमारा मानना है,फिर आगे प्रशासन का विवेक…….
स्कूल ड्रेस की कीमत और गुणवत्ता पर भी नियम बने,तो काफी स्थिति स्वत: ही काबू में आ सकती है…………………
हम बात करे स्कूल यूनिफार्म की तो जिसमे 30 प्रतिशत से अब कॉटन रहा गया है जबकि कॉटन का स्थान 70 प्रतिशत पॉलिएस्टर और नायलॉन ने लिया है । इसके पीछे का मुख्य कारण भारी कमीशन व मुनाफाखोरी तो नही…….आने वाली भीषण गर्मी में यह नायलॉन-पॉलीस्टर की यूनिफॉर्म बच्चो के बदन पर भयंकर तरीके से चिपकेगी। भगवान न करे यदि कोई हल्की सी भी आगजनी हो जाती है तो यूनिफार्म की वजह से ही हादसा बड़ा रूप ले लेगा न की आगजनी की वजह से ………….
पालक संघ की बैठक होती ही नहीं….
नियमानुसार सत्र प्रारंभ होने के पहले पालक संघ की बैठक अनिर्वाय रूप से होना चाहिए,लेकिन एक्का दुक्का स्कूलों को छोड़कर कही पर भी बैठक आयोजित नही की गयी है। पालक संघ के सदस्यों में अभिभावकों को भी रखना चाहिए जो स्कूलों को फीस देते है,ऐसा हमारा मानना है।

**** बॉक्स ख़बर ****
शिकायत के बाद हमारे बच्चों का क्या हश्र होगा…..?
जब उपरोक्त आदेश जारी होने के बाद हमारी टीम ने अभिभावकों से उनकी प्रतिक्रिया जाननी चाहिए तो अधिकतर पालकों का कहना था ऐसा आदेश तो हर बार जारी होता है,लेकिन उसका सख्ती से परिपालन प्रशासन नहीं करवा पाता है। वे तो प्रभावी स्कूल संचालको, यूनिफार्म विक्रेता और बुकसेलर के हाथों मिल रही मिठाई के कारण शायद कुम्भकर्णी निद्रा में चले जाते है। हर बार खबरों के प्रकाशन के बाद प्रशासन मात्र दिखावे हेतु आदेश जारी कर अपने कार्य से इतिश्री विगत कई वर्षों से करता चला आ रहा है। अब तो हमे देखना है कि नवागत कलेक्टर अपने इस आदेश का परिपालन सख्ती से करवा पाती है या नही….? की हर साल की तरह सिर्फ आदेश जारी और प्रभावियो को लूटने की पूरी आजादी मिल जाएगी। कुछ पालकों ने अपना पक्ष रखते हुए बताया कि आदेश में शिकायत करने हेतु कहा जाता है क्या यह संभव है…? जहाँ हमारा बच्चा पढ़ता है,उस संस्थान की हम शिकायत कैसे कर सकते है….? इसके बाद हमारे बच्चों का क्या हश्र होगा…..? इतना विवेक तो प्रशासन को भी होगा, फिर ऐसे आदेश का क्या मतलब जिसे अमल ही नही किया जा सके।
आईपीएस स्कूल के सूचना पटल पर 3 दुकानों की सूची चस्पा,लेकिन हकीकत कुछ और ही…………
नाम न छापने की शर्त पर पालकों ने हमे बताया कि आईपीएस स्कूल के सूचना पटल पर 3 दुकानों की सूची चस्पा की गयी है लेकिन पूरा किताबो का सेट गांधी बुक स्टोर्स झाबुआ पर ही मिलता है। मजेदार बात तो यह कि बाकी दुकानदार कहते है हमे पता ही नही है कि हमारी दुकान का नाम बोर्ड पर लिखा गया है। इस बात की प्रशासन निष्पक्ष,ईमानदारी और दृढ़ इच्छा शक्ति से कल ही जांच करवा लें तो,दूध का दूध और पानी अलग हो जायेगा। साथ ही अधिकारियों,स्कूल संचालको औऱ ऐसे बुक विक्रेता का फरेब नवागत कलेक्टर के समक्ष स्वत: ही आ जायेगा। नवागत कलेक्टर की अब तक कि कार्यशैली को देखते हुए हमे आस है कि वे ऐसे माफियाओं पर कड़क कार्यवाही अवश्य करेगी। वैसे ही यूनिफार्म में लूट कर रहे रूपकली,शीतल श्री और शुभम गारमेंट आदि यूनिफार्म विक्रेताओं के नाम भी पालकों ने बताये जिनकी अलग-अलग स्कूल से जुगल बंदी है और पालक बेतहासा सतत लूटे जा रहे है। एक स्वर में है पालकों ने हमारी टीम को धन्यवाद प्रेषित किया और कहा और आपकी खबर प्रकाशित होने के बाद भी प्रशासन कुछ नही कर पाता है,तो इन माफियाओं के हौसले कितने बुलंद हो जायेगे,जिसका अनुमान लगाना भी मुश्किल हो जाएगा।
**** बॉक्स ख़बर ****


फोटो ०१-:23 मार्च शनिवार को प्रकाशित खबर
फोटो ०२- 31 मार्च रविवार को प्रकाशित खबर- और आज 4 अप्रैल को प्रकाशित खहबर
फोटो ०३-नेहा मीना-कलेक्टर
फोटो०४-
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