झाबुआ

गिनी-चुनी दुकानों पर ही उपलब्ध है,कोर्स और यूनिफॉर्म….

डीईओ ने सभी स्कूलों से मांगी थी जानकारी, लेकिन नहीं दी- नोटिस जारी होंगे……………..

गिनी-चुनी दुकानों पर ही उपलब्ध है,कोर्स और यूनिफॉर्म-शिक्षा विभाग को स्कूलों ने नहीं बताया कोर्स क्या और कैसी होगी ड्रेस….?

झाबुआ। ब्यूरो चीफ -संजय जैन। ड्रेस, पुस्तकों की जानकारी शिक्षा विभाग में न भेजने वाले निजी स्कूल जांच के घेरे में आ गए हैं। इन स्कूलों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा जाएगा। क्योंकि फरवरी माह में निजी स्कूलों को अपने यहां संचालित कोर्स, ड्रेस सहित अन्य जानकारी शिक्षा विभाग को भेजनी थी। ताकि नए सत्र शुरू होने से पहले लोगों को पता हो कि कौन सी पुस्तकें खरीदनी है और ड्रेस कैसे होगी….?  यह व्यवस्था सरकार ने पिछले सत्र में ही की थी,लेकिन इसका पालन नहीं हो रहा था।

5 दिन पहले तक ड्रेस बनकर तैयार हो जाएगी…………………….
स्कूल शिक्षा सत्र शुरू होने के बाद यह जानकारी स्कूल सार्वजनिक करते थे,तब तक अभिभावक विशेष दुकानों से जहां स्कूलों के संचालक इशारा करते थे, वहां से यह सामग्री खरीदी लेते थे। यह सामग्री महंगी दामों में मिलती थी। इसी एकाधिकार को समाप्त करने के लिए स्कूलों से नए सत्र के लिए फरवरी माह में ही इधर बाजार में भी पुस्तकें नहीं आई हैं। अप्रैल से नया सत्र शुरू होगा, इस वजह से 3 से 4 दिन पहले तक पूरा कोर्स उपलब्ध हो पाएगा। इसी तरह ड्रेस की स्थिति है, जिन स्कूलों ने ड्रेस बदली है, वह भी तैयार नहीं हुई है। दुकानदारों का कहना था कि शिक्षा सत्र शुरू होने से 5 दिन पहले तक ड्रेस बनकर तैयार हो जाएगी, तो यह बाजार में बिकेगी।

परेशानी यह-गिनी-चुनी दुकानों पर ही उपलब्ध है,कोर्स और यूनिफार्म ………..
कोर्स और यूनिफार्म स्कूल संचालकों ने अपनी सुविधा के अनुसार बुक स्टॉल पर सेट करके रखे हैं, उन्हीं की दुकानों पर उनके स्कूलों का कोर्स उपलब्ध है। यूनिफार्म के लिए भी दुकानें निर्धारित हैं, जो अपनी मनमर्जी के हिसाब से यूनिफार्म बेच रहे हैं। बताया तो यहां तक जाता है कि कपड़ा व्यापारी स्कूल संचालकों को शिक्षण सत्र प्रारंभ होने से पहले ही उन्हें उनका कमीशन पहुंचा देते हैं। इस तरह कोर्स और यूनिफार्म जिले भर में गिनी-चुनी दुकानों पर ही बेची जा रही है, जिसका नुकसान पालकों को उठाना पड़ रहा है। इस तरह संबंधित दुकानदार का भी एक तरह से बाजार पर एकाधिकार हो जाता है।

निजी स्कूलों को सुचना पटल पर चस्पा करना करना होती है-5 पुस्तक विक्रेताओं की सूची…….
निजी स्कूल संचालकों और पुस्तक विक्रेताओं के गठजोड़ को खत्म करने के लिए तत्कालीन कलेक्टर सोमेश मिश्रा ने गत वर्ष 5 अप्रैल 22 को आदेश जारी किया था कि सभी निजी स्कूल पुस्तक और शाला गणवेश उपलब्ध कराने वाली कम से कम 5-5 दुकानों के नाम विद्यालय के सुचना पटल पर स्वच्छ एवं स्पष्ट रूप से चस्पा करे। बावजूद इसके हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी जिम्मेदारों ने इस आदेश को ताक में रखते हुए,किसी भी स्कूल का निरिक्षण तक नहीं किया है। जिससे इस आदेश का पालन हो सके। हर बार की तरह किसी भी निजी स्कूल ने इस आदेश का पालन इस वर्ष भी नहीं किया है।

विद्यालय परिसर में भी नहीं बिकेगी सामग्री………………
अक्सर निजी स्कूल संचालकों द्वारा शैक्षणिक सत्र शुरू होने पर प्रवेश लेने वाले एवं अध्ययनरत छात्रों पर बल पूर्वक दबाव बनाया जाता है कि वे उसी विद्यालय सेए परिसर के विक्रेता या दुकान विशेष से ही पाठ्य पुस्तकें, गणवेश,टाई,जूते,कॉपियां आदि सामग्री क्रय करेंगे। ऐसे में अभिभावकों पर अनावश्यक वित्तीय भार पड़ता है।

करना यह था,लुटेरों पर अंकुश लग जाता….
आदेश में सुचना पटल के साथ -साथ पुस्तक और शाला गणवेश उपलब्ध कराने वाली कम से कम 5-5 दुकानों के नाम की सूचि की एक प्रतिलिपि भी स्कूलों के लिए जिला शिक्षा अधिकारी के कार्यालय पर अनिवार्य रूप से तय सीमा के भीतर पहुंचाने का आदेश जारी करना था। जिससे बड़ी आसानी से प्रभावी लुटेरों दुकानदारों पर अंकुश लग जाता,ऐसा हमारा मानना है ।

अभिभावकों पर  दबाव नहीं बना सकेंगे..
निजी स्कूल के संचालक स्कूल यूनिफार्म-पुस्तकें व अन्य सामग्री दुकान विशेष से खरीदने का दबाव अभिभावकों पर नहीं बना सकेंगे। ऐसा करने पर वह कार्रवाई के दायरे में आएंगे। इसलिए इस व्यवस्था को लेकर प्रशासन ने सख्ती दिखाई है। स्कूल खुलने से पहले ही नए सत्र को लेकर प्लानिंग शुरू कर दी गई है।

प्रशासन सख्त हो तो ही खत्म हो सकेगी निजी स्कूलों की मनमानी………
यह समस्या हर साल की है। नवीन शिक्षण सत्र प्रारंभ होते ही निजी स्कूल संचालक अभिभावकों को विशेष दुकान से किताबें खरीदने के लिए मजबूर करते हैं, जिससे अभिभावक मोलभाव नहीं कर पाता है। अच्छा कमीशन पाने के लिए निजी स्कूल निजी प्रकाशकों के महंगे पाठ्यक्रम अभिभावकों से खरीदवाते हैं। प्रशासन को चाहिए कि इस मोनोपोली को खत्म करने के लिए सख्ती से कदम उठाए जाएं। यदि 5-5 दुकानों के नाम विद्यालय के सूचना पटल पर स्वच्छ एवं स्पष्ट रूप से चस्पा करने का आदेश है तो इसका सख्ती से पालन कराना भी जिला शिक्षा अधिकारी की जिम्मेदारी है।
……….जितेंद्र सिंह राठौर- रहवासी- झाबुआ

जानकारी देनी थी, लेकिन स्कूल इससे बचते नजर आए……………………….
 ऐसे स्कूल जिन्होंने जानकारी नहीं दी है, हम उन्हें नोटिस जारी करेंगे। वहीं अभिभावकों से भी अनुरोध है कि अगर स्कूल किसी विशेष दुकान से पुस्तकें या ड्रेस की खरीदी का दबाव बनाए तो वह इसकी शिकायत बीईओ या डीईओ कार्यालय में कर सकते हैं।
………आरएस बामनिया-डीईओ-झाबुआ

फोटो ०१-आर एस बामनिया-डीईओ- झाबुआ
फोटो ०२-जितेंद्र सिंह राठौर- रहवासी- झाबुआ
फोटो ०३/०४-
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SMS News (भीली भाषा)

मुकेश परमार SMS NEWS के प्रधान संपादक है , मुकेश परमार सुदर्शन न्यूज़, APN NEWS, दैनिक अख़बार मे सहित कई प्रतिष्ठित मीडिया संस्थानों में कार्य कर चुके है...

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