पहले की गल देवता की पूजन, दी पशु बलि, फिर लगाए चक्कर और अंत में घूमे गल पर
शहर के समीपस्थ ग्रामों में गल पर्व मनाया गया

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शहर से सटे ग्राम बिलिडोज, करड़ावद बड़ी, नरवलिया सहित अन्य ग्रामों में 21 मार्च, गुरूवार धुलेंडी पर्व की शाम को गल पर्व मनाया गया। मन्नतधारियों ने गल की पूजन की। पशु बलि दी, फिर चक्कर लगाए और अंत में गल पर लकड़ी के सहारे घूमकर अपनी मन्नते पूरी की। शहर के समीपस्थ ग्राम बिलिडोज में गल पर्व का आयोजन शाम 4 बजे से हुआ। बिलिडोज, मोजीपाड़ा सहित आसपास के गांवों से सैकड़ों ग्रामीण महिला-पुरूष, युवा एवं बच्चें बिलिडोज में बनी दो मचान पर एकत्रित हुए। बाद दोनो स्थानों पर हुए इस आयोजन में पहले गांव के पूजारी ने मन्नतधारियों को एक-एक कर गल देवता की पूजन संपन्न करवाते हुए नारियल, शराब की धार आदि चढ़ाई। बाद थोड़ी ही दूर जाकर मन्नत पूरी होने पर पशु बलि दी गई। मचान के चारो ओर मन्न्तधारी, जो हल्दी लगाए हुए एवं लाल वस्त्र पहने हुए थे, युवाओं ने तीन चक्कर कटवाएं। बाद सीढि़यों के सहारे उन्हें मचान पर चढ़ाया, जहां मौजूद ग्रामीणों ने मन्नतधारी को लकड़ी पर कपड़े के सहारे बांधकर नीचे से युवाओं ने रस्सी के सहारे गोल घूमाया। इस तरह मन्नतधारी को चार परिक्रमा करवाई। तीन चक्कर नीचे एवं चार परिक्रमा, ऊपर इस तरह कुल सात परिक्रमा करवाकर मन्नतधारी ने अपनी मन्नतों को पूरा किया। मचान पर ऊपर चढ़कर परिक्रमा लगाने के दौरान मन्नतधारी ने नीचे गुड़ भी फैंका।ढोल-मांदल पर किया जमकर नृत्यगल स्थल पर मौजूद ग्रामीणजनों में ढोल-मांदल तथा थाली बाजकर जमकर नृत्य किया तो कुर्राटियां भी मारी। ग्राम बिलिडोज में गल पर्व देखने दोनो स्थानों पर सैकड़ों की संख्या में ग्रामीणजन जमा हुए। यह आयोजन शाम 4 से 6.30 बजे तक चलता रहा। दोनो स्थानों पर करीब 20-22 मन्नतधारियों ने एक-एक कर इस तरह से पूरी रस्म कर अपनी मन्नतों को उतारा। आयोजनस्थल के बाहर स्वल्पाहार एवं ठंडाई की दुकाने भी लगी वहीं पुलिस प्रषासन भी मुष्तैद रहा।फोटो -ः शहर से सटे ग्राम बिलिडोज में गल देवता की मन्नतधारियां को पूजन करवाते हुए पूजारी।/wp:paragraph wp:image