मोबाइल के लगातार उपयोग से दिमाग और आंखों पर पड़ रहा दुष्प्रभाव-हर गतिविधि पर नजर रखने की जरूर

@ब्यूरो चीफ -संजय जैन
झाबुआ। पढ़ाई के दौरान बच्चे खेल खेल में अलग-अलग दिशाओं में भटक जाते हैं। कोई इंटरनेट के माध्यम से फर्जीवाड़े की तरफ तो कोई अन्य गतिविधियों तो ठगी जैसे मामलों में लिप्त हो जाते हैं। जिस उम्र में बच्चों को शिक्षा में आगे होना चाहिए,उस उम्र में मोबाइल देकर अंधकार में धकेल रहे हैं। मोबाइल उपयोग के दौरान बच्चों की गतिविधि पर ध्यान रखने की जरूरत है।

मोबाइल का गलत दिशा हो रहा उपयोग……………….
आजकल देखने में आ रहा है कि बड़े बड़े जानकार युवा पढ़ाई के बहाने आनलाइन कक्षाओं कोचिंग क्लास अटेंड करने या सुविधा की दृष्टि से उपयोग के लिए मिले मोबाइल फोन का सार्थक दिशा में उपयोग न करके गलत दिशा में उपयोग करते हुए भटकाव भरे रास्ते पर चल पड़े हैं। जिसके गंभीर परिणाम होंगे। बच्चों पर परिवार के लोगों को ध्यान देने की जरूरत है।

कम बैटरी में मोबाइल का उपयोग न करें…………….
मोबाइल की बैटरी कम होने की स्थिति में इसका उपयोग बिल्कुल नहीं करना चाहिए। इससे रेडिएशन बढ़ता है,जो नुकसान देह है। वर्तमान में सोशल मीडिया और इंटरनेट पर जिस तरह से दुरुपयोग किया जा रहा है उससे बच्चे अव्यवहारिक जीवन जीना सीखने लगते हैं। लगातार उपयोग से हमारे आपसी संबंध भी व्यवहारिक जीवन से भी दूर होते चले जा रहे हैं।

विकिरणों से बच्चों पर पड़ता है खराब असर…………………..
खेल-खेल में 6 साल से भी कम उम्र के बच्चों को मोबाइल फोन दिया जाने लगा है या फिर बच्चे स्वयं फोन लेकर अंधेरे या बंद कमरों में देखा करते हैं। इसका खराब असर आंखों,दिमाग तथा हृदय पर पड़ता हैं। अक्सर बच्चों में एकाकीपन, चिड़चिड़ापन, डिप्रेशन सहित घातक बीमारियां होने की स्थिति बन जाती है। बच्चों को मोबाइल से दूर रखना चाहिए।
ज्यादा मोबाइल चलाने से बचना चाहिए……………..
अधिक समय तक मोबाइल फोन देखने से आंखों की रोशनी पर असर पड़ता है। इसके कारण ड्राई आइज की समस्या होना देखा जा रहा है। ये एक आदत ग्लूकोमा के खतरे को बढ़ाने वाली भी हो सकती है, जो अंधेपन के खतरे को बढ़ाने वाली समस्या हो सकती है। साथ ही बहुत अंधेरे में या लाइट ऑफ कर फोन देखने की आदत पूरी तरह छोड़ देना चाहिए।
……………………………जीएस.अवास्या-नेत्र विशेषज्ञ ,जिला अस्पताल-झाबुआ

