विद्यार्थियों को दुकान विशेष से ड्रेस या स्टेशनरी खरीदने,कर रहे बाध्य…


स्कूलों का नया सत्र कल 1 अप्रैल से शुरू हो रहा-कलेक्टर ने अब तक निजी स्कूलों के संचालन को लेकर नहीं जारी किए आदेश…………..
समाचार प्रकाशन के बाद भी नहीं चेता प्रशासन-विद्यार्थियों को दुकान विशेष से ड्रेस या स्टेशनरी खरीदने,कर रहे बाध्य…
झाबुआ। ब्यूरो चीफ -संजय जैन। स्कूलों का नया सत्र कल 1 अप्रैल से शुरू हो रहा है। लेकिन अब तक समाचार प्रकाशन के बाद भी प्रशासन स्कूल प्रबंधन और पुस्तक विक्रेताओं की सांठगांठ पर रोक लगाने कलेक्टर ने निजी स्कूलों के संचालन को लेकर आदेश जारी नहीं किया है। कलेक्टर ने म.प्र. निजी विद्यालय नियम 2020 के तहत स्कूलों के संचालन को लेकर आदेश जारी नहीं किए हैं।

विद्यार्थियों को दुकान विशेष से ड्रेस या स्टेशनरी खरीदने,कर रहे बाध्य…………
अशासकीय विद्यालय, महाविद्यालय में अध्ययनरत छात्र-छात्राओं को स्कूल, कॉलेज प्रबंधन द्वारा स्वयं विक्रय करने या चिह्ित,बताई गई दुकान विशेष से यूनिफॉर्म अथवा स्टेशनरी आदि क्रय करने के लिए बाध्य कर रहे है। लोकसभा चुनाव के चलते स्कूल प्रबंधन की मनमानी से अप्रिय स्थिति निर्मित हो सकती हैं। लेकिन कलेक्टर ने अब तक धारा 144 के अधीन इस प्रकार के विक्रय के विरूद्ध प्रतिबंधात्मक आदेश जारी नहीं किए हैं। स्कूल प्रबंधन द्वारा दबाव बनाकर निश्चित दुकानदारों से ही पुस्तकें,स्टेशनरी सहित अन्य सामानों की खरीदने का दबाव बनाया जा रहा है। जबकि अन्य जिलों की तरह चुनाव के चलते आदेश पहले ही जारी हो जाना था। हर साल की तरह इस साल भी पूर्व कलेक्टरो के आदेशो की खुले आम धज्जिया उड़ाई जा रही है,जिस और किसी का भी ध्यान नहीं है। पूर्व में जारी आदेश में किसी पर भी अब तक कार्रवाई नहीं हुई है।

स्कूलों ने नहीं दी जानकारी-की जा सकती है धारा 188 के तहत न्यायालयीन कार्रवाई ….
निजी विद्यालयों को विद्यालय प्रवेश प्रारंभ की तिथि एवं प्रक्रिया, विद्यालय में उपयोग लाई जाने वाली पाठ्य पुस्तकें, स्टेशनरी,पठन सामग्री,बैग, यूनिफॉर्म, स्पोर्टस किट,ट्रांसपोर्ट सुविधा,फीस अथवा परोक्ष या अपरोक्ष रूप से संग्रहित की जाने वाली धनराशि का विवरण विद्यालय के नोटिस बोर्ड एवं अधिकारिक वेबसाइट पर प्रदर्शित करने के निर्देश जारी किए हैं,लेकिन निजी स्कूलों ने अभी तक यह जानकारी नोटिस बोर्ड या वेबसाइट पर प्रदर्शित नहीं की है। इस स्थिति को देखते हुए भी कलेक्टर ने निजी स्कूलों को उक्त निर्देशों का कड़ाई से पालन करने के निर्देश नहीं दिए हैं। यदि विद्यालय नियमों का पालन नहीं करते हैं तो आईपीसी की धारा 188 के तहत न्यायालयीन कार्रवाई की जा सकती है। साथ ही विद्यालय के दोषी पाए जाने पर उसकी मान्यता समाप्त करने की कार्रवाई भी की जा सकती है।
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समाचार प्रकाशन के बाद भी नहीं चेता प्रशासन……………..
गौरतलब है की इस समाचार पत्र ने शनिवार 23 मार्च को* डीईओ ने सभी स्कूलों से मांगी थी जानकारी,लेकिन नहीं दी जानकारी* नामक शीर्षक से प्रमुखता से समाचार प्रकाशित कर प्रशासन का ध्यान इस और आकर्षित करने के बावजूद भी आज दिनांक तक प्रशासन ने निजी स्कूलों पर अंकुश लगाने हेतु कोई कार्यवाही नहीं की है। अभी भी देर नहीं हुई है,यदि दृढ़ इक्छाशक्ति से प्रशासन कठोर कार्यवाही करे,तो अभी भी लगभग 75 से 80 प्रतिशत अभिभावक को ये लूटरे लूटने में किसी भी हाल में कामयाब नहीं हो सकते है। नवागत कलेक्टर को इस मामले में तुरंत संज्ञान लेकर इस खेल में संलिप्त अधिकारियो पर तत्काल कार्यवाही करना चाहिए,ऐसा हमारा मानना है।

आदेशो की खुले आम धज्जिया उड़ाई जा रही ………………..
हर साल की तरह इस साल भी पूर्व कलेक्टरो के आदेशो की खुले आम धज्जिया उड़ाई जा रही है,जिस और किसी का भी ध्यान नहीं है। नवागत कलेक्टर नेहा मीना पूर्व कलेक्टर सोमेश मिश्रा के 5 अप्रैल 22 के आदेश के परी पालन में अधिकारियो ने अब तक क्या किया….? इसी पर अपनी पैनी निगाहे तुरंत दौड़ा दे तो सारी स्थति उनके सामने अवश्य आ जाएगी,ऐसा हमारा मानना है।
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कक्षावार बस्ते का वजन निर्धारित………
कक्षा बस्ते का वजन
पहली 1.6-2.2 किग्रा
दूसरी 1.6-2.2 किग्रा
तीसरी 1.7-2.5 किग्रा
चौथी 1.7-2.5 किग्रा
पांचवी 1.7.-2.5 किग्रा
छटवीं 2.0-3.0 किग्रा
सातवीं 2.0-3.0 किग्रा
आठवीं 2.5-4.0 किग्रा
नौवीं 2.5-4.5 किग्रा
दसवीं 2.5-4.5 किग्रा
(नोट-कक्षा ग्यारहवीं-बारहवीं के लिए बस्ते का वजन शाला प्रबंधन समिति द्वारा विभिन्न विषय स्ट्रीम के आधार पर तय किया जाएगा। )

फोटो०१-:शनिवार 23 मार्च को प्रकाशित समाचार
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