

आग लगने पर हो सकता है बड़ा हादसा-बिना फायर सेफ्टी के ही बन रहे व्यवसायिक भवन, लधड़ल्ले से दे दी जा रही अनुमति…………
दिनोंदिन बढ़ रही है व्यवसायिक भवनों की संख्या……………
झाबुआ। ब्यूरो चीफ -संजय जैन। शहर के मुख्य मार्गों सहित बाजार में बड़े-बड़े व्यवसायिक भवन बनाए जा रहे हैं,जिसमें नियमों को ताक पर रखा जा रहा है। इन भवनों में फायर सेफ्टी के लिए कोई व्यवस्था नहीं है और फिर भी इन्हें टाउन एंड कंट्री प्लानिंग से अनुमति मिल जाती है।
फायर सेफ्टी सिस्टम भवनों में होना चाहिए………………
व्यावसायिक भवन बनाते समय पार्किंग,फायर सेफ्टी सहित अन्य सुविधाएं होने पर ही नपा या टाउन एंड कंट्री प्लानिंग विभाग से अनुमति दी जाती है, लेकिन यहां कई भवन ऐसे हैं,जहां यह सुविधाएं नहीं हैं। इन भवनों में दुकानें संचालित हो रही हैं। फायर सेफ्टी के नाम पर सिर्फ छोटे-छोटे अग्निशमन यंत्र रख दिए जाते हैं,जो आग पर काबू पाने के पहले ही खाली हो जाते हैं। नियमानुसार पूरा फायर सेफ्टी सिस्टम भवनों में होना चाहिए।

बड़ी मशक्कत के बाद आग पर काबू पाया….
आग लगने की स्थिति में दमकल गाडिय़ों का इंतजार किया जाता है और तब तक आग भयानक रूप ले लेती है। शनिवार की दोपहर शहर के बीच लगी आग के बाद वहां आग बुझाने सिर्फ छोटे अग्निशमन यंत्र थे। आग की सूचना नपा में देकर दमकल गाड़ी बुलाई गई थी,लेकिन वहां तक पाइप नहीं पहुंच सका था। इसके बाद लोगों ने बड़ी मशक्कत के बाद आग पर काबू पाया था,यदि आग बढ़ जाती,तो बड़ा हादसा हो जाता।

नहीं है पार्किंग व्यवस्था…………..
व्यावसायिक भवनों में नियमानुसार बेसमेंट में पार्किंग होना चाहिए,लेकिन बेसमेंट में भी दुकानें खुली हुई हैं। इसके बाद भी नगर पालिका द्वारा कार्रवाई नहीं की जाती है। जिन भवनों में बैंक संचालित हो रहे हैं, वहां भी पार्किंग नहीं है,जबकि बैंक खोलते समय एग्रीमेंट में पार्किंग के लिए जगह का उल्लेख रहता है, लेकिन वाहन सडक़ों पर ही खड़े होते हैं। इन दुकानों में फायर सेफ्टी के नाम पर सिर्फ छोटे-छोटे अग्निशमन यंत्र रख दिए जाते हैं,जो आग पर काबू पाने के पहले ही खाली हो जाते हैं।

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